
अम्बाला पूजहा श्री कृष्ण मंदिर जो 790 के साल में चेंबबसेरी पुरंदम के एक शासक तिरुनल देवनारायण द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर काफी पुराना है जिसके कारण इसकी आर्किटेक्चरल ब्यूटी कुछ अलग ही है। इस मंदिर के परिसर में एक छोटा सा लेक है। इस लेक के अंदर लोग हाथ पैर धोते हैं। लेक के चारों तरफ से लोग घूम सकते हैं। यह लेक मंदिर के ठीक सामने है जिसके कारण यह मंदिर की और भी शोभा बढ़ाता है।
मंदिर के अंदर भगवान जी के दाएं हाथ में चाबुक और बाएं हाथ में शंख हैं। इस वजह से लोग भगवान जी को योद्धा के रूप में देखते हैं। हिंदू संस्कृति में शंख को भगवान विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है और यहां पर हर साल मंदिर में पीठासीन देवता की याद में अंबाला पूजा उत्सव का नियोजन किया जाता है। वार्षिक त्योहारों में से एक यहां पर अरट्टू त्योहार मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें हजारों भाविक भक्त शामिल होते हैं।

मंदिर का परिसर और सुंदरता
मंदिर में आगमन होने से पहले हमको प्रवेश द्वार के सामने बड़ी बड़ी दुकान देखने को मिलेंगे। जिनमें कुछ प्रसाद की कुछ ग्रंथों की दुकान है और कुछ दुकानों पर तो श्री कृष्ण जी की हजारों अलग-अलग मूर्तियां देखने को मिलेंगे। मंदिर के प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही दाएं तरफ आपको एक बड़ा सा पेड़ दिखेगा जिसके नीचे लोग श्री कृष्ण जी को ध्यान करते हुए वक्त बिताते हैं।

हर साल यहां पर लाखो भाविक आते हैं उस पेड़ को देखकर थोड़ा आगे जाते ही हमें इस मंदिर की सबसे बड़े-बड़े दिखते हैं। यह दिए काफी पुराने और बड़े हैं दोस्तों इस मंदिर मैं बड़े-बड़े दिए तो है ही लेकिन मंदिर की एक दीवार पर हजारों दिए लगाए जाते हैं। और यह दिए लगाने के बाद मंदिरऔर भी शोभा दायक दिखता है। अम्बाला पूजहा श्री कृष्ण मंदिर के परिसर में एक हाथी है और यह हाथी श्री कृष्ण जी को याद में भक्त श्री कृष्ण झूलता रहता है। इस हाथी को देखने के लिए यहां पर बच्चे भी आते हैं।

अम्बाला पूजहा श्री विष्णु मंदिर काफी बड़ा धार्मिक स्थान है और आप यहां आकर भगवान जी के दर्शन का लाभ ले सकते हैं।